- बजट 2022 में कडाणा विभाग की जमीन को सागवाड़ा नगरपालिका के हस्तांतरित की गई।
- स्थानीय क्षेत्रवासियों द्वारा इसका विरोध करते हुए उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन।
सागवाड़ा : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बजट पत्र 2022 में कडाणा की 76 बीघा जमीन को नगरपालिका सागवाड़ा को निःशुल्क हस्तांतरित की गई है, इस पर स्थानीय क्षेत्र वासियों ने सागवाड़ा उपखंड अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रस्तुत कर कडाणा की जमीन को यथावत रखने की मांग की।
क्षेत्रवासियो द्वारा ज्ञापन में बताया गया की डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा क्षेत्र की जमीन नगरपालिका को सौपने के निर्णय से स्थानीय निवासियों को कई प्रकार से प्रताड़ित होना पड़ रहा है। राजस्थान सरकार ने यहां की गरीब जनता के साथ अन्याय किया है।
ज्ञापन में बताया है की यह जमीन सदियों से आदिवासियों सहित गरीब खातेदारों की रही है। यह समुदाय शिक्षा व आर्थिक रूप से पिछडा हुआ रहा है जिसके अभाव में कई लोग अपनी जमीन को सरकारी रिकार्ड में दर्ज नहीं करवा सके है, लेकिन आज भी उस जमीन पर उन्ही का कब्जा है, जिसका गलत तरिके से फायदा उठाते हुए भु-माफियाओं की ओर से उन्हे बहला फुसला कर जमीन अपने नाम कर दी गई है तथा कई जमीनों के फर्जी पट्टे बनाकर अतिक्रमण कर लिया गया है।
वही कडाणा विभाग बनने के बाद शेष भुमि का मुआवजा आज तक खातेदारों को नहीं दिया गया है। साथ ही कडाणा विभाग की तरफ से अपनी मनमर्जी से विभागीय अधिकारियों तथा प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम फर्जी पट्टे बनाकर षडयंत्र पुर्वक तरिके से खातेदारों को अपनी मालिकाना जमीन से बे दखल किया जा रहा है, जिसका समस्त आदिवासी सहित गरीब खातेदार घौर विरोध करते है।
ज्ञापन के माध्यम से क्षेत्र वासियों ने निवेदन किया है कि डूंगरपुर जिला पांचवी अनुसूची आर्टिकल 244 (1) अनुसूची क्षेत्र है। इसमें संविधान के भाग 9 में 243(z, e) के तहत नगरपालिका व नगरपरिषद गैर कानुनी व अवैध है जिन्हे सिरे से खत्म कर पंचायत क्षेत्र घोषित किया जाए।
अतः उक्त नियम को देखते हुए नगरपालिका क्षेत्र के आसपास की पंचायतों को पेराफेरी से मुक्त करते हुए कडाणा की जमीन को खाताधारक के नाम वापस आवंटित की जाए। अन्यथा मजबुरन आंदोलन की राह अपनानी पडेगी जिसके जिम्मेदार स्थानीय शासन प्रशासन व राज्य सरकार रहेंगे।
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