बांसवाड़ा का BSF जवान सीमा पर ड्यूटी के दौरान हुआ शहीद : रविवार सुबह रोहनिया पहुंचेगा पार्थिव शरीर

बांसवाड़ा : बांग्लादेश से सटे सिलीगुड़ी (दार्जीलिंग ) बॉर्डर पर तैनात बांसवाड़ा का BSF जवान ड्यूटी पर शहीद हो गया। रोहनिया (चांदरवाड़ा) तहसील आनंदपुरी निवासी महेंद्र सिंह राणावत, 21 बटालियन BSF, बैकुंठपुर (उत्तर बंगाल) में तैनात था। बीती शाम गश्त के दौरान बिजली गिरने से महेंद्र सिंह की मौत हो गई। महेंद्र की करीब 5 साल पहले शादी हुई थी। वहीं करीब 7 साल पहले महेंद्र ने BSF जॉइन की थी। अभी जुलाई में महेंद्र का ड्यूटी से छुट्टी आने का प्रोग्राम था, लेकिन अब शहीद के तौर पर उसका शव शनिवार को गांव आएगा।
     महेंद्र सिंह के पिता राजेंद्रसिंह राणावत बांसवाड़ा के सरकारी स्कूल में अध्यापक है। वहीं भाई भूपेंद्र सिंह राणावत प्राइवेट स्कूल में टीचर है। महेंद्र के दो बच्चे हैं। इनमें एक दो साल का है, जबकि दूसरा अभी चार साल का होने वाला है। आस-पास के इलाके में महेंद्र सिंह ही इकलौता ऐसा लड़का था, जो परिवार से जिद कर BSF में भर्ती हुआ था। महेंद्र का पार्थिव शरीर शनिवार को अहमदाबाद एयरपोर्ट आएगा। इसके बाद देर शाम तक शव उनके निवास स्थान पहुंचेगा।

ढाई साल का था तब मां छोड़ गई दुनिया
भाई भूपेंद्रसिंह ने बताया कि महेंद्र उर्फ टिक्कू करीब ढाई साल का था और वह चार साल के थे तब उनकी मां का निधन हुआ था। दोनों भाइयों ने बचपन से ही संघर्षदेखा है। महेंद्र एक्जाम देकर BSF में अफसर (डिप्टी कमांडेंट) बनना चाहता था। इसके लिए वह प्रयास भी कर रहा था। महेंद्र ने ग्रेज़ुएशन कर रखा था। दोनों भाई दोस्त की तरह ज्यादा रहते थे। परिस्थितियों के बीच पिता ने दूसरी शादी की थी, जिससे एक लड़की हुई । इस तरह से इस परिवार में दो भाई और एक बहन थी।

बॉर्डर की नौकरी में बच्चे के भविष्य की चिंता
परिवार ने बताया कि महेंद्र करीब दो महीने पहले छुट्टी पर आया था। कुछ दिन रुककर वह वापस ड्यूटी पर गया था। भूपेंद्र से टेलीफोनिक बातचीत में महेंद्र अक्सर बड़े बेटे को सही समय पर स्कूल में भर्ती कराने की बातें करता था। इस बार जुलाई में वह छुट्टी पर भी इसलिए आने वाला था कि उसे बच्चे का स्कूल में दाखिला कराना था।

भाई से कहा था - रिटायर्ड होकर या तिरंगे में लिपटकर आऊंगा
शहीद महेंद्रसिह अक्सर अपने बड़े भाई भूपेंद्रसिंह औैर दोस्तों से कहता था कि अब आर्मी ज्वाइन की है। इसलिए रिटायर्ड होकर आया तब भी और तिरंगे में लिपटकर आया तब भी मुझे सलाम तो करना ही पड़ेगा। छोटे भाई के शहीद होने की खबर के बाद उसकी ये बात याद करते हुए बड़े भाई भूपेंद्रसिंह का गला भर आया। उन्होंने कहा छोटे भाई ने मजाक में कही बात को सच कर दिया। सुबह ही घर पर कॉल कर कहा था, छोटे बेटे का एडमिशन करवा देना।

महेंद्रसिंह के बड़े भाई भूपेंद्रसिंह ने आरपीएफ जबलपुर में चयन के लिए फिटनेस टेस्ट दिया था। लेकिन आंखों की रोशनी कम होने व चश्मे होने की वजह से उनका सलेक्शन नहीं हो पाया था। वह अब प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते हैं। आर्मी में जाने की उनकी ख्वाहिश छोटे भाई ने पूरी की थी। पिता राजेंद्रसिंह सरकारी अध्यापक हैं। उन्होंने कहा कि दुख है, लेकिन फक्र भी है कि भाई देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ।उन्होंने बताया कि 12 जून को ही उसके छोटे बेटे का पूरे परिवार ने जन्मदिन मनाया था। अखिरी बार मार्च में होली मनाकर वह ड्यूटी पर गया था।

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