- डूंगरपुर जिले में जिला पुलिस अधीक्षक ने बेटियों के सरंक्षण के लिए की अनूठी पहल।
- जिले के 16 पुलिस थानों पर एक साथ हुआ "मेरी पुलिस - मेरी दोस्त" अभियान का आगाज।
- अच्छे लोगों के लिए पुलिस है दोस्त, अपराधियों के लिए सख्त : जिला पुलिस अधीक्षक जोशी
डूंगरपुर : अगर बच्चों के साथ बच्चें बनकर बात की जायें तो कैसे डरें-सहमें बच्चें भी कुछ ही देर में मुखर हो जाते है और कुछ ही पलों में उनके मन की बातें और जिज्ञासाएं सवालों में तब्दील हो जाती है, ऐसा नज़ारा जिले भर में देखने को मिला जब जिला पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी के निर्देशन में डूंगरपुर जिले में नवाचार करते हुये बेटियों के संरक्षण के लिए जिले के सभी सोलह थानों में ‘मेरी पुलिस-मेरी दोस्त’ अभियान का आगाज हुआ।
जिला मुख्यालय पर जिला मजिस्ट्रेट एवं कलेक्टर श्रीमती शुभम चौधरी एवं जिला पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने पुलिस थाना कोतवाली डूंगरपुर पर इस नवाचार का शुभारंभ किया।
जिला पुलिस अधीक्षक जोशी ने बताया कि इस अभियान का मूल उद्देश्य बेटियों के संरक्षण के साथ-साथ उनके भय को दूर करना है जिससे वह अपनी समस्याओं को मुखर हो कर बता सकें तथा उसका समाधान हो सकें।
‘मेरी पुलिस-मेरी दोस्त’
इस अभियान के तहत जिला मुख्यालय स्थित कोतवाली थाना डूंगरपुर में जिला कलक्टर श्रीमती शुभम चौधरी व जिला पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी ने राजकीय देवेंद्र बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की 50 बेटियों के साथ लगभग 2 घंटे का समय व्यतीत करते हुए उनसे आत्मीय संवाद किया।
इस अवसर पर जिला कलक्टर श्रीमती चौधरी ने कहा कि बालिकाओं को अगर कोई भी समस्या है तो उस समस्या को छुपाना नहीं चाहिएं बल्कि आगे आकर बताना चाहिए ताकि उसका समाधान किया जा सकें। उन्होंने कहा कि कई बार हम समस्या को छोटा समझकर उपेक्षा कर देते हैं लेकिन वही छोटी बात बाद में किसी बड़े हादसे का कारण बन जाती है, इसलिए आवश्यक है कि हम बिना भय के पुलिस को अपनी समस्या से अवगत कराएं।
अच्छे लोगों की मित्र है पुलिस
इस दौरान जिला पुलिस अधीक्षक जोशी ने बालिकाओं को कहा कि पुलिस आम लोगों की सुरक्षा के लिए है, इसलिए उसे पुलिस से डरने की आवश्यकता नहीं है । पुलिस अच्छे लोगों के लिए मित्र है जबकि अपराधियों के लिए पुलिस बहुत सख्त है।
इस दौरान उन्होंने बालिकाओं को पुलिस विभाग की संपूर्ण कार्य प्रणाली को भी विस्तार से समझाया। इस अवसर पर उपाधीक्षक राकेश शर्मा ने बालिकाओं से कहा कि अगर उन्हें कोई परेशानी है तथा वे पुलिस थाना नहीं आना चाहती तो भी अपने विद्यालय में पुलिस विभाग की ओर से लगाई गई पेटी में भी अपनी समस्याओं को लिख कर डाल सकती हैं। साथ ही स्कूलों में पेट्रोलिंग करने वाली ‘डेल्टा दीदियों’ से भी अपनी बात कह सकती है।
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