डूंगरपुर : संपूर्ण भारत में आज होली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। सभी एक दूसरे पर रंग एवं पानी फेंककर होली मना रहे है, लेकिन राजस्थान के आदिवासी अंचल में एक गांव ऐसा है जहां रंगो के बजाए पत्थरों से होली खेली जाती है।
डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा स्थित भिलुड़ा गांव में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी धुलंडी के अवसर पर पत्थर मार-होली खेली गई। ग्रामीणों ने आमने सामने गोपन से खूब पत्थर चलाए, जिसमे 50 जने घायल हुए तथा 3 को सागवाड़ा चिकित्सालय रेफर किया गया।
धुलंडी के अवसर पर खेली जानी वाली इस पत्थर मार होली के पीछे भी ग्रामीणों की अनूठी मान्यता है। ग्रामीणो की माने तो हजारो वर्ष पूर्व तत्कालीन शासक ने एक पाटीदार जाति के व्यक्ति की हत्या कर दी थी, जिसके बाद उसकी पत्नी वहां सती हो गई थी तथा उसने श्राप दिया था की होली के पर्व पर यहां इस धरती पर इंसान का खुन गिरना चाहिए, नही तो गांव पर संकट आ जाएगा। तब से लेकर आज तक इस मान्यता को लेकर यहां के लोग इस खुनी खेल को खेलते आ रहे है।
भिलुड़ा की पत्थर मार होली आस पास के क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। इस पत्थर मार राड़ को देखने आस- पास के क्षेत्र से सैकड़ो लोग भिलुड़ा आते है।
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