अनूठी परंपरा : फुतरा प्रथा में युवाओं ने दिखाया जबरदस्त शौर्य प्रदर्शन

  •  ओबरी में हुई फूतरा उतारने की अनूठी परंपरा।
  •  युवाओं ने दिखाया जबरदस्त शौर्य प्रदर्शन।
  • उन्नीस वर्षीय विक्रमसिंह पुत्र धुलसिंह पंवार ने फूतरा उतारने में सफलता हासिल की।
डूंगरपुर : प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी रंग पंचमी पर ओबरी कस्बे में फूतरा पंचमी की लोक परम्परा का पूरी श्रद्धा एवं जोश के साथ किया गया निर्वहन।
     वर्षो से होली के पांचवे दिन रंग पंचमी पर ओबरी में अनूठी परंपरा निभाई जाती है। परंपरा के अनुसार रंग पंचमी के दिन ओबरी में फूतरा पंचमी मनाई जाती है, जिसके अनुसार आज सर्वप्रथम ओबरी में बस स्टेण्ड बाजार राजपूत चौराहे पर वर्षो से होने वाली इस प्रथा को लेकर राजपूत, ब्राह्मण, पाटीदार अन्य समाज के युवाओं की एक बैठक हुई, बैठक में खेल के लिए दो दल बनाए गए। पहला राजपूत समाज के लोगों का, आक्रमण दल। व दूसरा ब्राह्मण तथा पाटीदार समाज के लोगों का रक्षक दल।
सभी समाज द्वारा दोनों दलों को तिलक लगाया गया। जिसके बाद दोनों दल ढोल नगाड़ों की थाप पर जय राम श्रीराम जय जय राम के नारों के साथ एक-एक करके सुरमणा रोड़ स्थित उस खजूर के पेड़ के पास पहुंचे जहां पहले से ही श्वेत कपड़ा बंधा हुआ था। वहां पर इन दोनों दलों के बीच फूतरा उतारने का मुकाबला हुआ।
     मुकाबले में आक्रमण दल के युवा पेड़ पर चढ़ कर फूतरा उतारने की कोशिश करने लगे तो वहीं दूसरी और रक्षक दल के युवा उन्हें रोकने की कोशिश करते रहे। बड़ी मशक्कत के बाद आक्रमण दल के सदस्य गंभीर रूप से जख्मी होने के बावजूद भी उन्नीस वर्षीय विक्रमसिंह पुत्र धुलसिंह पंवार राजपुत होली चौक ने खजूर के पेड़ पर बंधे श्वेत कपडे को उतारने में सफलता हांसिल की।
फूतरा उतारने वाले साहसी युवक विक्रमसिंह का ग्रामीणों द्वारा पूरे कस्बे में जुलूस निकाला गया। बाद में जुलूस राजपूत चौराहे पर पहुंचा, जहां कस्बेवासी व समाज के लोगों द्वारा फूतरा उतारने वाले विक्रमसिंह को शौर्यवान व साहसी नाम से नवाजा गया। साथ ही तिलक लगाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस दौरान क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा को लेकर थानाधिकारी सीआई अनिल देवल, हेडकानि सुरेश भोई, कानि गोविन्दसिंह सहित दल के साथ मौजूद रहा।
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