बांसवाड़ा : आदिवासीओ का गौरव, भारत का दूसरा जलियांवाला बाग, ऐतिहासिक शहादत स्थल मानगढ़ धाम पर आदिवासी परिवार भीलप्रदेश मुक्ति मोर्चा के आह्वान पर आदिवासीओ के अस्तित्व, स्वामित्व, संस्कृति एवं आदिवासी धर्म के संरक्षण हेतु चार राज्यो राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात एव महाराष्ट्र के कई आदिवासी समाजजनो का भीलप्रदेश सन्देश यात्रा महासम्मेलन हुआ। कई वर्षों से जारी चार राज्यो के आदिवासी जिलों को मिलाकर पृथक भीलप्रदेश की मांग को लेकर लाखो की संख्या में हुजूम उमड़ पड़ा। उत्साह ऐसा था कि 15 किलोमीटर तक हजारो वाहनो का जमावडा, अनुशासन एवं एकता देखते ही बनती। वक्ताओ ने आदिवासीओ की बोली भाषा, संस्कृति, पूजा पद्दति, जीवनशैली, परम्परा एवं रहवास के आधार पर पृथक भीलप्रदेश की मांग की।
महासम्मेलन में विचारक भंवरलाल परमार ने बेलाद भक्ति, प्रकृति धर्म, चांदा सूर्या नेजा की भक्ति के बारे में बताया। साथ ही उन लोगो पर जमकर प्रहार किया जो आदिवासियों के ऐतिहासिक एवं पूजा स्थलों के साथ छेड़छाड़ कर रहे है।
कान्ति भाई आदिवासी ने बताया कि आदिवासीओ की पूजा पद्धति और धर्म, कथित सनातन से भी पहले लाखो साल पुराना है, आदि अनादि काल से है। आरएसएस षड्यंत्र पूर्वक आदिवासी पूजा एवं ऐतिहासिक स्थलों को छीनना चाहता है। जो हम कभी नही होने देंगे।मुह तोड़ जवाब देंगे। प्रकृति के साथ धुणियो पर प्राचीन समय से लगाए जा रहे नेजे, पूर्वजो एवं माता पिता के सिवाय कोई पूजने योग्य नही हो सकता।
डॉ हीरा मीणा ने शिक्षा, साहित्य एवं संस्कृति को बचाने का आह्वन किया। हल्दीघाटी से लाये मिट्टी में आदिवासी नेजा रोपण कर शहीदों एवं गोविंद गुरु, संत सुरमाल, गोवनगर महाराज, देवापुरी महाराज आदि संत महात्माओं को याद किया गया। आदिवासीओ की संस्कृति परम्परा एव पूजा पद्धति को षड्यंत्रकारियो से बचा के रखना होगा। संवेधानिक हक अधिकारो के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
इस मौके पर जयस संगठन का सानिध्य प्राप्त हुआ। महासम्मेलन के मुख्य वक्ता भँवरलाल परमार समाजिक विचारक, कान्ति भाई आदिवासी सामाजिक विचारक, मांगीलाल निनामा संयोजक भीलप्रदेश मुक्ति मोर्चा, दिनेश खानन अध्यक्ष- ट्राईबल एम्प्लॉई फेडरेशन, प्रो. मणिलाल गरासिया सामाजिक कार्यकर्ता, राजकुमार रोत विधायक चौरासी, रामप्रसाद डिंडोर विधायक सागवाड़ा, प्रफुल्ल वसावा गुजरात, राज वसावा गुजरात, अजय गावित महाराष्ट्र, रविन्द्र पाडवी महाराष्ट्र, प्रवीण पावरा महाराष्ट्र, कान्ति भाई भाभर मध्यप्रदेश, पोपट खोखरिया, राजू वलवाई गुजरात, चंदू मइडा मध्यप्रदेश, सीता मीणा सवाई माधोपुर, डॉ हीरा मीणा जयपुर, रामलाल दामा, थावरचंद डामोर,उत्तम भाई राठौड़ राजकोट, माया कलासुआ, मेनका डामोर आदि उपस्थित हुए। संचालन हिरालाल दामा ने किया।
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