बहुत याद आएंगे हाजी शफ़ी मोहम्मद पटवारी

गलियाकोट : "जीवन" मे ऐसे बहुत कम लोग होते है जो "दूसरों" के लिए भी कुछ कर "गुजरने" की इच्छा रखते है ऐसे ही "व्यक्तित्व के धनी" थे डूंगरपुर जिले के गलियाकोट कस्बे में जन्मे "शफी मोहम्मद पटवारी" थे जिनका जीवन शुरुआत से ही संघर्षमय रहा। बचपन में ही पिता का साया नहीं होने पर "मां" ने "माता-पिता" दोनों का प्यार दिया। मां ने मेहनत कर व घर-घर दूध बेचकर पाला और पढ़ा-लिखा कर एक काबिल व्यक्ति बनाया।
पटवारी की नौकरी मिली तो एक समय भुखा रहकर ट्रेनिंग पूरी की। डूंगरपुर जिले में मुस्लिम समाज के ये एक मात्र व्यक्ति थे जो पटवारी के पद से प्रमोशन गिरदावर पद तक पहुंचे। सभी समाजो व धर्म के लोगो में अपने व्यक्तित्व की छाप छोड़ते जिन्दा-दिली सरल स्वभाव के साथ सदैव हंसमुख रहने वाले व्यक्ति थे। स्पष्टवक्ता, विद्धान, सामाजिक समरसता के अग्रणी भूमिका निभाने वाले शफी मोहम्मद सिद्धांतवादी, गरीबो की नि:स्वार्थ सेवा में अपना जीवन व्यतीत करने हेतु हमेशा आगे रहे। 
राजकीय सेवानिवर्ति पर पश्चात होने गलियाकोट ग्राम पंचायत में उपसरपंच के रूप में निर्विरोध चुने गए। वे एक अच्छे "फुटबॉलर" भी थे और जब भी समय मिलता "शेरो-शायरी" से भी लोगो का "दिल" जीत लेते। उन्होंने समाज व गाँव के हित लिए हमेशा आगे रहकर काम किया यही नही राजकीय अस्पताल को गलियाकोट लाने के लिए भी संघर्ष किया। समाज हो या गाँव हो टूटे परिवारों को जोड़ने हेतु सदैव तैयार रहने वाले शफ़ी मोहम्मद जिन्होंने बचपन से ही गरीबी देखी, भूखे रहकर अपने लक्ष्य के लिए संघर्ष किया हो वो भला दुसरो के "दुःख" को कैसे समझ नही सकता।

हाजी शफी मोहम्मद पटवारी के इंतकाल (डेथ) से गलियाकोट के एक युग का अंत हो गया है। हम खुदा से दुआ करते है की उनकी मगफिरत फरमाए और जन्नतुल फिरदौस में आला मकाम अता फरमाए।

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