प्रेरक प्रसंग : बोर्ड कक्षा के छात्रों के प्रयास अनुरूप प्रोत्साहन

आजकल बोर्ड के परीक्षा परिणाम घोषित होने पर होनहार प्रतिभाओं को सर्वत्र प्रसार माध्यमों द्वारा काफी नवाजा जा रहा है। यद्यपि जिनके अंक 90 प्रतिशत से अधिक है वे काबिले तारीफ है, जरूर उनकी प्रशंसा, मिडिया प्रसार आवश्यक व पात्रता के तहत उपयुक्त है। लेकिन यहाँ वे प्रतिभावान छात्रों को अवश्य ही थोड़ी निराशा व हतोत्साहितता महसूस होती है, जो अपने सामर्थ्य एवं शक्तिनुसार कड़ी मेहनत व लगन से 60% से उपर व 90% की बोर्डर लाइन तक पहुँच पाते हैं, वे भी आशावादी होना स्वाभाविक ही है किन्तु उन्हें उचित प्रोत्साहन व मीडिया प्रसार मंच से वंचित रहना पडता है। यह एक सोचनीय विषय है। सभी विद्यालयों, समाज, मिडिया प्रभारीयों का नैतिक दायित्व बनता है कि उन्हें उस अनुरूप प्रोत्साहित व पुरस्कृत किया जाना आवश्यक है ताकि वे हतोत्साहित न होने पाये व समाज, विद्यालय, लोगों के बीच अपनी की हुई मेहनत का प्रतिकार पा सकें यह वांछनीय है। हम सबको इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि उनको 90+ की मंजिल के लक्षयांक तक पहुंचने में आशातीत सफलता मिले तथा वे स्पर्धा का लक्ष्य रख सके। 

लेखक परिचय : 
प्राणशंकर जोशी
दीवडा छोटा, तहसील सागवाडा 
जिला डूंगरपुर राजस्थान।


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