टामटिया गांव की अनूठी परंपरा, होलिका दहन करने के लिए माचिस की तीली का नही किया जाता है प्रयोग

  • होली के अवसर पर वागड़ की अनूठी परंपरा।
  • टामटिया गांव में बिना माचिस के किया जाता है होलिका दहन।
डूंगरपुर : जिले के टामटिया गाँव के इतिहास में आज तक बिना माचिस की तीली से होलिका दहन किया जाता है। ये परम्परा सदियों से चली आ रही हैं, जिसका निर्वहन ग्रामवासियों द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ किया जाता है।
    परंपरा के अनुसार टामटिया गांव में अनूठे तरीके से बांस की चिंगारिया उत्पन्न कर होलिका दहन किया जाता है। परम्परागत विशेष बांस के बने साँचे में एक गिर्री को घुमाया जाता है तब उसमें घर्षण से चिंगारियां उत्पन्न होती है एवं धीरे धीरे वो चिंगारियां नीचे रखे भूसे पर गिरती रहती है।
करीब दो तीन घण्टे के अथक परिश्रम करने के बाद उसमे आग उत्पन्न होती है, उस उत्पन्न आग से ही होली प्रकटायी जाती है। आग की चिंगारियाँ को एक कंडे एवँ लकड़ी में मशाल नुमा बनाकर विशेष ढोल एवँ कुंडियो की ठाप से उल्लास एवं उमंग के साथ होलिका चौक के चारो ओर गाँव के डामोर परिवार द्वारा होली की 7 प्रदक्षिणा कर शुभमुहूर्त में होली जलाई जाती हैं।
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